मॉरीशस में पहली उर्दू लेखिका बनी अबिनाज़ जान

*मॉरीशस में उर्दू की प्रथम महिला लेखिका अबिनाज़ जान अली* *उर्दू जिसे कहते हैं तहज़ीब का चश्मा है वो शख़्श मोहज़्ज़ब है जिस को ये ज़बां आई* मॉरीशस में उर्दू की प्रथम लेखिका , अबिनाज़ जान अली उर्दू जगत में एक महान शख्सियत का नाम है। जो किसी परिचय की मोहताज नहीं है। प्रत्येक मनुष्य के मूल्य का अंदाज़ा उसकी बुद्धि और भाषा से लगाया जा सकता है। उसकी भाषा जितनी प्यारी होगी, उसका चरित्र उतना ही सुंदर होगा। उन हीं में से एक अबिनाज़ जान अली है। वैसे तो वो मॉरीशस से हैं । लेकिन उर्दू उनकी मातृभाषा नहीं है। वो उर्दू से बहुत प्रेम करती है। वो जहाँ जाती हैं उर्दू की खुशबू उनके साथ जाती है। विदेशी होने के बावजूद, उन्होंने उर्दू भाषा में महारत हासिल की उन्होंने अपनी पूरी शिक्षा-दीक्षा उर्दू भाषा में की है। उर्दू उनकी मातृभाषा नहीं है। लेकिन उर्दू में वो निपुण हैं उर्दू भाषा आज ऐसे लोगों की वजह से जीवित है। और हमें उन पर गर्व होना चाहिए। अबिनाज़ उनके लोगों लिए एक उदाहरण हैं। जो सोचते हैं हम उर्दू कभी नहीं सीख सकते हैं कभी पढ़ नहीं सकते हैं। जब वह एक विदेशी होकर उर्दू में इतनी महारत हासिल कर सकती हैं, तो हम क्यों नहीं कर सकते है ? उर्दू एक मधुर सरल भाषा है, इसकी मिठास इसकी लोकप्रियता का सबसे महत्वपूर्ण रहस्य है, उर्दू लहजे में प्यार और स्नेह की खुशबू आती है उर्दू ज़बान में विभिन्न सभ्यताओं, संप्रदायों, भाषाओं का मिश्रण शामिल है। इसका रिसाव एकता, एकजुटता और सहिष्णुता से भरा है। अबिनाज़ एक उपन्यासकार हैं। कथा साहित्य के अलावा, वह लेख और शोध लेख लिखती हैं। उनका प्रसिद्ध संग्रह पेच वा ख़म जो कला और संस्कृति मंत्रालय के तहत मॉरीशस में प्रकाशित हुआ था। कई देशों के अखबारों में उनके लेख प्रकाशित हुए हैं। पत्रिकाएं शोध पत्रिकाओं और ऑनलाइन पोर्टलों में प्रकाशित होती हैं। जैसे भारत, पाकिस्तान, कनाडा, फ्रांस, इटली, जर्मनी, नॉर्वे, स्वीडन, दुबई, अबू धाबी, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका मॉरीशस में उर्दू अखबार का अनुयायी रहा है। उर्दू भाषी संघ कला और संस्कृति मंत्रालय का एक संस्थान है और इसकी परिषद की सदस्य रह चुकी हैं। अपने धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम का निर्देशन किया है और मॉरीशस में तीसरे विश्व उर्दू सम्मेलन के लिए एक रिपोर्ट तैयार कर चुकी हैं जिसे प्रोफेसर इकरामुद्दीन की किताब उर्दू का अलमीतनाज़िर में प्रकाशित किया गया है। महात्मा गांधी संस्थान के माध्यमिक विद्यालय रवींद्रनाथ टैगोर में उर्दू शिक्षण सेवाएं प्रदान कर रही हैं। उर्दू की सेवाओं के लिए उन्हें वुमन ऑफ द ईयर के ख़िताब से सम्मानित किया गया है। वह मॉरीशस की 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक हैं। वे खुश हैं कि वे जहां भी जाती हैं, उर्दू की खुशबू उनके साथ जाती है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ी मल कॉलेज से उर्दू में बी.ए. किया और पहले ही साल में कॉलेज में शीर्ष स्थान हासिल किया था। उन्हें दिल्ली उर्दू अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली से उर्दू में एम,ए किया और 2019 में उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अतिथि के रूप में भाग लिया पिछले साल, महिला दिवस के अवसर पर, डीडी उर्दू, टाॅक शो में भाग लिया। एक छात्र के रूप में, उन्होंने दूरदर्शन पर दो उर्दू कार्यक्रमों का निर्देशन किया। और उन्हें ऑल इंडिया रेडियो पर अपने दो उपन्यास पढ़ने का अवसर मिला। वह तेरह बार भारत आ चुकी है। उन्होंने कई यूरोपीय देशों की यात्रा भी की है। इनमें इटली, फ्रांस, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, पोलैंड, स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, रूस, तुर्की आदि शामिल हैं। मॉरीशस में उर्दू भाषा का विकास भारत के लोगों के आगमन के साथ शुरू हुआ। 1953 से उर्दू स्कूलों के प्राथमिक स्तर पर पढ़ाई जाती थी। बाद में, माध्यमिक स्तर की शिक्षा की व्यवस्था की गई और उर्दू में एम ए मॉरीशस में पी एच डी की सुविधा भी प्रदान की गई। इसके अलावा, उर्दू यहां के मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक भाषा बन गई है। मनुष्य के दो गुण हैं। बुद्धि और भाषा बुद्धि से लाभ पहुंचाता है। और भाषा से लाभ उठता है। मनुष्य की विशिष्टता उसकी बुद्धि और भाषा के कारण है। दुनिया में लगभग 7,000 से अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं। तो क्या इसका मतलब है कि किसी एक चीज को देखने समझने के लिए 7,000 अलग-अलग तरीके नज़रियात हैं? यह एक तथ्य है कि भाषा का मनुष्य के मानसिक विकास से बहुत गहरा संबंध है। यद्यपि अधिक भाषाओं को जानना अपने आप में मानव विकास के लिए आवश्यक नहीं है, मानव विकास केवल उन लोगों द्वारा अनुभव किया जाता है जो एक से अधिक भाषा जानते हैं। महिलाओं को हमेशा पुरुषों से हीन माना गया है। एक महिला हमेशा समाज में सम्मान चाहती है और खुलकर जीना चाहती है। वह अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहती है। वह अपने अधिकारों की सुरक्षा चाहती है। लेकिन वर्षों से समाज उसके अधिकारों और उसकी सुरक्षा और भावनाओं का उल्लंघन कर रहा है। एक महिला में अनेक क्षमताएं होती हैं। लेकिन हर किसी में इन क्षमताओं को समझने की क्षमता नहीं होती है प्रत्येक महिला के भीतर, सर्वशक्तिमान अल्लाह ने वही ज्ञान दिया है जो एक आदमी को दिया गया है। जो हर इंसान में दिया गया है। लेकिन समाज की बाधाओं के कारण, एक महिला अपनी बुद्धि को शीर्ष पर ले जाने में असमर्थ है। उर्दू एक मधुर मीठी ज़बान है बहोत ही प्यारी खूबसूरत भाषा है। उर्दू एक भारतीय आर्य भाषा है, जो भारतीय संघ की 22 राष्ट्रीय भाषाओं में से एक व पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। हालाँकि यह फ़ारसी और अरबी से प्रभावित है, लेकिन यह हिन्दी के निकट है और इसकी उत्पत्ति और विकास भारतीय उपमहाद्वीप में ही हुआ। दोनों भाषाएँ एक ही भारतीय आधार से उत्पन्न हुई हैं। उर्दू भाषा का व्याकरण पूर्णतः हिंदी भाषा के व्याकरण पर आधारित है तथा यह अनेक भारतीय भाषाओं से मेल खाता है। उर्दू नस्तालीक़ लिपि में लिखी जाती है, जो फ़ारसी-अरबी लिपि का एक रूप है। उर्दू दाएँ से बाएँ लिखी जाती है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है अपनी भाषा को बढ़ावा दें ताकि आने वाली पीढ़ियों को पता चलेगा उर्दू क्या है? और हमारे लिए क्यूँ आवश्यक है और हमारे पुरखों ने उर्दू के लिए कितने योगदान दिए। और उर्दू भाषा के लिए उनकी सेवाएं क्या हैं? आज की पीढ़ी। उर्दू भाषा से दूर होती जा रही है, हमें उन्हें उर्दू जैसी मीठी भाषा से अवगत कराना होगा हमें अपनी मातृभाषा को भी महत्व देना चाहिए। क्योंकि शिक्षा का महत्व और मातृभाषा के माध्यम से उचित प्रशिक्षण संभव है। सलीके से हवाओं में जो खुशबू घोल सकते हैं अभी कुछ लोग बाकी है जो उर्दू बोल सकते हैं हमें अभिनाज़ बहुत गर्व और नाज़ है। आपको अधिक विस्तार से पढ़कर मुझे अच्छा लगा। उर्दू का प्रचार-प्रसार उर्दू के फरोग़ उर्दू की बक़ा के लिए आपकी खिदमत सराहनीय हैं अल्लाह हमेशा आपको कामयाबी कामरानी सर बुलन्दी से सरफाराज़ फरमाए आमीन *आरिफ सैफी देहलवी* *श्री वेंकटेश्वर महाविद्यालय* *दिल्ली विश्वविद्यालय* aarifsaifidehlvi@gmail.com